CBI कोर्ट आज पोल्लाची गैंगरेप मामले में फैसला सुनाएगी: 6 साल बाद मिलेगा इंसाफ?
तमिलनाडु के पोल्लाची में 2019 में हुए सनसनीखेज गैंगरेप मामले में आज CBI कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी। कोयंबटूर की महिला कोर्ट में जज आर. नंदिनी देवी इस मामले में फैसला सुनाएँगी। इस मामले में 9 आरोपियों पर आपराधिक साजिश, यौन उत्पीड़न, बलात्कार, गैंगरेप और बार-बार बलात्कार जैसे गंभीर आरोप हैं। यह मामला तब सुर्खियों में आया था, जब एक 19 साल की कॉलेज छात्रा ने शिकायत दर्ज की थी कि चार लोगों ने उसका यौन उत्पीड़न किया और वीडियो बनाकर उसे ब्लैकमेल किया। आइए, इस मामले को विस्तार से समझें।
मुख्य हाइलाइट्स
- पोल्लाची गैंगरेप मामला 2019 में सामने आया, जिसमें 9 लोग आरोपी हैं।
- आरोपियों ने कई महिलाओं का यौन उत्पीड़न किया, वीडियो बनाए और ब्लैकमेल किया।
- मामला 12 मार्च 2019 को CBI को ट्रांसफर किया गया था।
- महिला कोर्ट ने 40 से ज्यादा गवाहों से पूछताछ की।
- फैसला आज 13 मई 2025 को कोयंबटूर की महिला कोर्ट में सुनाया जाएगा।
पोल्लाची गैंगरेप मामला
1. मामले की शुरुआत
12 फरवरी 2019 को पोल्लाची में एक 19 साल की कॉलेज छात्रा को चार लोगों ने कार में यौन उत्पीड़न का शिकार बनाया। उन्होंने उसका वीडियो बनाया, उसकी सोने की चेन छीन ली और उसे ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया। 24 फरवरी को पीड़िता ने पोल्लाची ईस्ट पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की। इसके बाद पुलिस ने चार लोगों—एन. साबरिराजन उर्फ रिश्वंत, के. तिरुनावुक्करसु, एन. सतीश और टी. वसंतकुमार—को गिरफ्तार किया।
2. CBI की जाँच और बाकी गिरफ्तारियाँ
जाँच के दौरान आरोपियों के फोन और लैपटॉप से कई वीडियो मिले, जिनमें अन्य महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न के सबूत थे। मामला बढ़ने पर इसे 12 मार्च 2019 को CBI को ट्रांसफर कर दिया गया। CBI ने बाद में तीन और लोगों—के. अरुलानंतम, पी. बाबू उर्फ ‘बाइक’ बाबू, और हारोनिमस पॉल—को जनवरी 2021 में गिरफ्तार किया। इसके अलावा, एक अन्य आरोपी, आर. मणिवन्नन, ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया। कुल 9 लोग इस मामले में आरोपी हैं।
3. राजनीतिक विवाद
यह मामला राजनीतिक रूप से भी संवेदनशील रहा। आरोपी के. अरुलानंतम AIADMK की पोल्लाची टाउन स्टूडेंट्स विंग का सेक्रेटरी था, जिसे गिरफ्तारी के बाद पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। विपक्षी पार्टियों, खासकर DMK ने आरोप लगाया कि AIADMK ने आरोपियों को बचाने की कोशिश की। DMK की सांसद कनिमोझी ने पोल्लाची में पिछले 7 सालों में हुई महिलाओं की आत्महत्याओं की दोबारा जाँच की माँग की।
4. कोर्ट की कार्यवाही
CBI ने 24 मई 2019 को पहली चार्जशीट दाखिल की, जिसमें आरोपियों पर बलात्कार, यौन उत्पीड़न, और ब्लैकमेलिंग के आरोप लगाए गए। कोर्ट ने 40 से ज्यादा गवाहों से पूछताछ की, जिसमें 8 पीड़िताओं ने बयान दिए। ट्रायल 24 फरवरी 2023 को शुरू हुआ और आज 13 मई 2025 को इसका फैसला सुनाया जाएगा।
5. पुलिस की भूमिका पर सवाल
कई कार्यकर्ताओं और पत्रकारों ने पोल्लाची पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए। आरोप है कि पुलिस ने मामले को दबाने की कोशिश की और कई प्रक्रियात्मक गलतियाँ कीं, जिसके कारण कुछ आरोपी रिहा हो गए। पुलिस ने शुरुआत में FIR दर्ज करने में देरी की और सबूतों की जाँच में लापरवाही बरती। इसके अलावा, तमिलनाडु सरकार और कोयंबटूर के SP ने पीड़िता का नाम और पता सार्वजनिक कर दिया, जिसे कार्यकर्ताओं ने अन्य पीड़िताओं को डराने की कोशिश बताया।
निष्कर्ष
पोल्लाची गैंगरेप मामला न केवल एक जघन्य अपराध की कहानी है, बल्कि यह सिस्टम की खामियों को भी उजागर करता है। CBI की जाँच में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए, लेकिन पुलिस की भूमिका पर सवाल बरकरार हैं। आज का फैसला पीड़िताओं को इंसाफ दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है, लेकिन यह भी देखना होगा कि क्या यह सजा इस तरह के अपराधों को रोकने में मदद करेगी।
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- पुलिस की भूमिका पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए थी?
- इस तरह के अपराधों को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?
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