The Global Highlight: क्या भारत और यूरोपीय संघ एक-दूसरे की प्रगति के लिए स्वाभाविक साझेदार हैं?
मुख्य हाइलाइट्स
- विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत-यूरोपीय संघ संबंधों को कैसे परिभाषित किया?
- किस मंच पर जयशंकर ने यह विचार व्यक्त किए?
- भारत और EU के बीच किन क्षेत्रों में सहयोग बढ़ रहा है?
- क्या जलवायु परिवर्तन और डिजिटल बदलावों पर दोनों के विचार मिलते हैं?
- क्या भारत-EU के संबंध वैश्विक व्यवस्था में संतुलन ला सकते हैं?
1. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत-यूरोपीय संघ संबंधों को कैसे परिभाषित किया?
विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि भारत और यूरोपीय संघ (EU) एक-दूसरे की प्रगति के लिए "स्वाभाविक साझेदार" हैं। उन्होंने इसे एक रणनीतिक और गहराई से जुड़ा संबंध बताया।
2. किस मंच पर जयशंकर ने यह विचार व्यक्त किए?
जयशंकर ने यह विचार ब्रुसेल्स में आयोजित ‘EU-Indo Pacific Ministerial Forum’ के दौरान व्यक्त किए। इस मंच पर उन्होंने वैश्विक राजनीति, सुरक्षा और सहयोग के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की।
3. भारत और EU के बीच किन क्षेत्रों में सहयोग बढ़ रहा है?
दोनों पक्ष व्यापार, टेक्नोलॉजी, ग्रीन एनर्जी, आपूर्ति श्रृंखला सुरक्षा और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में गहरा सहयोग कर रहे हैं। विशेष रूप से, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर और हरित ऊर्जा में भारत की भूमिका सराही गई।
4. क्या जलवायु परिवर्तन और डिजिटल बदलावों पर दोनों के विचार मिलते हैं?
हां, जयशंकर ने बताया कि भारत और EU दोनों ही जलवायु परिवर्तन और डिजिटल बदलावों के प्रति गंभीर हैं और इन्हें वैश्विक प्राथमिकता मानते हैं। इसमें साझेदारी को और मज़बूत करने की ज़रूरत पर बल दिया गया।
5. क्या भारत-EU के संबंध वैश्विक व्यवस्था में संतुलन ला सकते हैं?
जयशंकर ने यह भी कहा कि वर्तमान अस्थिर वैश्विक व्यवस्था में भारत और EU जैसे लोकतांत्रिक साझेदारों का सहयोग विश्व में स्थिरता और संतुलन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
अपनी राय कमेंट में ज़रूर लिखें!
- क्या भारत और यूरोपीय संघ के बीच रणनीतिक सहयोग से वैश्विक स्थिरता बढ़ेगी?
- क्या यह साझेदारी भारत को वैश्विक नेतृत्व की ओर ले जाएगी?
- क्या भारत की डिजिटल प्रगति EU के लिए उदाहरण बन सकती है?
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